बुधवार, 24 सितंबर 2008

ग्रामीण गरीब बच्चे मस्त होते है........

ग्रामीण भारत के गरीब बच्चे मस्त होते है, ये बच्चे जब मछली मारते है तो इनकी कला का परिचय होता है. बाल काल में ही बिना किसी के मदद लिए बहुत कुछ कर गुजर जाने की तमन्ना देखने से बनती है.ये बच्चे अपनी रोजी रोटी के लिए खेतो में धान,गेहू, चना,मटर जैसे दाने चुनते दिख जायेंगे ये कला इन ग्रामीण बच्चो के अपने है. सपनो को सहेजता हर ग्रामीण बच्चा अपने ही पास के सरकारी स्कूल में पढ़ लिख कर आशा की एक किरण बनता है. जरा सोचने बाली बात यह है की ये बच्चे बिना बिजली, बिना पंखा, बिना पिजा बर्गर, बिना आएसक्रीम, बिना अच्छी अंग्रेजी जाने भी और बच्चो से कई गुना जादा आगे है जीवंत है, नेक है, और इनको जीने की कला आती है जो इन्हे कोई बड़े स्कूल नहीं सिखाते ना ही ममी पापा सिखाते है. ये तो अदभुत ग्रामीण गरीब बच्चो की विरासत है.

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